
- टेस्टिस (अंडकोष) के विकार के कारण हार्मोन का असंतुलन: कई पुरुषों में टेस्टिस (अंडकोष) आवश्यक हार्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाते हैं। इस कारण पर्याप्त मात्रा में शुक्राणुओं का उत्पादन नहीं होता है, और इससे शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है।
- क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम जैसी आनुवंशिक समस्या: कुछ पुरुषों में, एक आनुवंशिक स्थिति होती है जिसमें गुणसूत्र (क्रोमोजोम) की संख्या और प्रकार सही नहीं होते हैं, यानी 46XY के बजाय, पुरुष में 47XXY कैरियोटाइप होता है | इस कारण पुरुष का सही विकास नहीं हो पता है, और शुक्राणु बहुत कम या बिलकुल भी न बने ऐसा भी हो सकता है |
- टेस्टिस (अंडकोष) का सही जगह न पहुँच पाना : जब किसी बच्चे में अंडकोष अपने प्राकृतिक स्थान यानी स्क्रोटम (अंडकोश की थैली) में स्थित नहीं होते हैं, तो इससे बच्चे के बड़े होने पर शुक्राणु के उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है और बाद में पुरुष को निःसंतानता का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे बच्चों में, बचपन में, विशेषकर जीवन के शुरुआती वर्षों में ऑपरेशन से सुधार करवाना महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जब लड़का बड़ा हो तो ऐसी समस्याएं उत्पन्न न हों। फिर भी कुछ पुरुष बचपन में इस स्थिति के सुधार के लिए किये गए ऑपरेशन के बाद भी वयस्क होने के बाद भी शुक्राणु नहीं बना पाते हैं।
- नलिओं की संरचनात्मक समस्याएं: ऐसी कई स्थितियां हैं जो अंडकोष से शुक्राणु को बाहर ले जाने वाली नलिओं को प्रभावित कर सकती हैं। निम्नलिखित कारण नलिओं के बंद होने के सामान्य कारण हैं-
- नलियों में चोट: किसी भी कारण से पुरुषों के टेस्टिस (अन्डकोश) को चोट पहुचने पर घाव भरते समय नलियाँ बंद भी हो सकती हैं |
- टेस्टिस (अंडकोष) के संक्रमण के कारण ट्यूब में रुकावट: : क्लैमाइडिया, गोनोरिया या प्रोस्टेटाइटिस (प्रोस्टेट ग्रंथि का संक्रमण) जैसे संक्रमण अंडकोष की कार्यप्रणाली को ख़राब कर सकते है और अंततः शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकते है।
- वास डिफरेंस (नलियों) की जन्मजात अनुपस्थिति – यह एक ऐसी स्थिति है जहां एक या दोनों तरफ की नलिकाएं जन्म से ही अनुपस्थित होती हैं।
- टेस्टिस की बढ़ी हुई नसें – वैरिकोसेल : कभी-कभी अंडकोष के आसपास की खून की नसें चौड़ी हो सकती हैं और इससे अंडकोष द्वारा शुक्राणु उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
- टेस्टिस (अंडकोष) पर की गई कोई सर्जरी या पहले किया गया हर्निया ऑपरेशन : ये कभी-कभी अंडकोष की आपूर्ति करने वाली नाज़ुक खून की नसों या तंत्रिकाओं को घायल कर सकती हैं और अंडकोष द्वारा शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकती हैं।
- टेस्टिस (अंडकोष) का अधिक गर्म होना: अंडकोष के सामान्य रूप से काम करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि अंडकोष के आस पास सही तापमान मौजूद हो । अंडकोष के आसपास उच्च तापमान शुक्राणु उत्पादन को ख़राब कर देगा। तंग अंडरवियर पहनने और उच्च तापमान वाले वातावरण में काम करने से यह प्रभाव पड़ सकता है |
- अत्यधिक शराब का सेवन: शुक्राणु उत्पादन के लिए शराब ज़हर के सामान है, और शुक्राणु की समस्याओं के कारण निःसंतानता का सामना करने पर शराब का सेवन सीमित करने या हो सके तो बंद करने की सलाह दी जाती है।
- धूम्रपान: यह भी हानिकारक है क्योंकि धुएं में कई रसायन होते हैं जो शुक्राणुओं के लिए जहरीले होते हैं, इसलिए सलाह दी जाती है के धूम्रपान बंद कर दिया जाए या कम से कम इसे सीमित कर दिया जाए।
- नशीले पदार्थ जैसे चरस, गांजा या कोकेन इत्यादि का सेवन : इन पदार्थों में कई जहरीले रसायन होते हैं और शुक्राणु उत्पादन को ख़राब कर देते के हैं। इसलिए ऐसे सभी पदार्थों का उपयोग बंद कर देना चाहिए।
- कुछ दवाएं: कैंसर की दवाएं (कीमोथेरेपी), कुछ एंटीबायोटिक्स, कुछ एंटीडिप्रेसेंट और अन्य मानसिक स्थितियों के लिए दवाएं शुक्राणु उत्पादन के लिए हानिकारक हो सकती हैं। यदि आपको कोई भी संभावित दवाएँ दी जा रही हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप अपने प्रजनन चिकित्सक से उनकी जाँच करवाएँ ।
- टेस्टोस्टेरोन का उपयोग : यदि आप किसी भी कारण से टेस्टोस्टेरोन का उपयोग कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप अपने निःसंतानता विशेषज्ञ से इसका उल्लेख करें, क्योंकि यह आपके शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।
- एनाबॉलिक स्टेरॉयड का उपयोग: जो पुरुष बॉडी बनाने के प्रति उत्साही होते हैं वे कभी-कभी अपने जिम प्रदर्शन को बढ़ाने या अपनी इच्छानुसार सही मसल प्राप्त करने के लिए एनाबॉलिक स्टेरॉयड का उपयोग करते हैं | शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में कमी इन सप्लीमेंट्स का एक आम दुष्प्रभाव होता है । इसलिए ज़रूरी है कि अपने निःसंतानता विशेषज्ञ को ऐसे सभी पदार्थ के उपयोग के बारे में सच्चाई से बताएं ।
- अधिक वजन या मोटापा: 29 से ऊपर BMI होने पर पुरुषों में प्रजनन क्षमता ख़राब हो जाती है। अधिकतर इसलिए क्योंकि यह पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता के साथ-साथ यौन प्रदर्शन को भी प्रभावित करता है।
- टेस्टिस (अंडकोष) कैंसर: टेस्टिस के कैंसर से पीड़ित किसी भी पुरुष में शुक्राणु उत्पादन प्रभावित होता है।
- किमो थेरेपी या रेडियो थेरेपी: किसी भी कैंसर के इलाज में दिए गए इलाज जिनमे की किमो या रेडियो थेरेपी भी शामिल है, इनसे भी टेस्टिस को नुकसान पहुचता है, और शुक्राणु बनाने की क्षमता भी कम होती है |
- तनावपूर्ण जीवनशैली: वीर्य असामान्यता का एक बहुत ही आम कारण भावनात्मक तनाव है | ऐसे वातावरण की प्रतिक्रिया से शरीर में उत्पन्न होने वाले तनाव हार्मोन के कारण वीर्य भी प्रभावित होते हैं। प्रजनन विशेषज्ञों द्वारा सलाह दी जाती है कि वीर्य की गुणवत्ता में सुधार के लिए तनाव मुक्त जीवन जीने की कोशिश करना आवश्यक है। योग और ध्यान का अभ्यास इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।